जे मैं हुंडी मिट्टी दी मटकी रंग मेनू चढ़ जांदा,
माखन बनके श्याम मेरे ली मूल मेरा पे जांदा
माखन ली जद प्यारे आंदे,
मैं तेरी मैं तेरी वे कान्हा मैं तेरी,
यमुना तट पे चली मैं इकली मिल गये श्याम प्यारे,
देखि उस प्यारे तू सखियों भूल गई कम सारे,
मटकी रख प्रीतम नु भुलवा, आजा श्याम पिया रे,
राधा जी दी किरपन मन के आजा श्याम प्यारे,
चरण पकड़ हूँ कहन लगी, मैं मैं तेरी मैं तेरी
मैं तेरी मैं तेरी वे कान्हा मैं तेरी,
बिनती करा नाले तरले पावा,
अपनी कह दे प्यारे तेरी तेरी मेनू हर कोई कहंदा तू अपनी कह दे प्यारे,
कण खोल के सुन ले प्यारे,
मैं तेरी मैं तेरी वे कान्हा मैं तेरी,
ओसिया पावा नाले कांग उड़वा ,
आवी मेरे प्यारे तेरे मिलन दे खातिर श्यामा भूल गी काम सरे
बेठ बनारे आवाज मारा आवी श्याम प्यारे देखि एन मेनू जनके सखियों आ गये मेरे प्यारे,
दर्श करा नाले तरले पावा आखा मैं तेरी,
मैं तेरी मैं तेरी वे कान्हा मैं तेरी,