हरि भजन बिना मुक्ति ना होवे

सत कर बोलो सत कर बोलो सत्य की पैड़ी चढ़ जइयो,
हरि भजन बिना मुक्ति ना होवे व्रत करो एकादशी का.......

ग्यारस के दिन चौका देवें आले दिवाले वह झाड़े,
या करनी से बनी मकड़ी, जाल पूर्ति वह फिरती,
सत कर बोलो सत कर बोलो सत्य की पैड़ी चढ़ जइयो,
हरि भजन बिना मुक्ति ना होवे व्रत करो एकादशी का.......

ग्यारस के दिन कपड़ा धोवे जल में मैल रमा देती,
या करनी से बनी है मछली पेट पकड़कर वह रहती,
सत कर बोलो सत कर बोलो सत्य की पैड़ी चढ़ जइयो,
हरि भजन बिना मुक्ति ना होवे व्रत करो एकादशी का.......

आए गए का आदर ना करती भूखे को भोजन ना देती,
या करनी से बनी है कूतिया घर-घर झांकत वह फिरती,
सत कर बोलो सत कर बोलो सत्य की पैड़ी चढ़ जइयो,
हरि भजन बिना मुक्ति ना होवे व्रत करो एकादशी का.......

सूरज सोनी कुल्ला करता तके पराई जोनारी,
या करनी से बना कोड़िया दर दर मारा वह फिरता,
सत कर बोलो सत कर बोलो सत्य की पैड़ी चढ़ जइयो,
हरि भजन बिना मुक्ति ना होवे व्रत करो एकादशी का.......

आए गए का आदर करती भूखे को भोजन जो देती,
या करनी से बनी राधिका श्री कृष्ण के संग रहती,
सत कर बोलो सत कर बोलो सत्य की पैड़ी चढ़ जइयो,
हरि भजन बिना मुक्ति ना होवे व्रत करो एकादशी का.......

मां बहन का आदर करता तके ना पराई जो नारी,
या करनी से बना कृष्ण जी राधा के संग वो रहता,
सत कर बोलो सत कर बोलो सत्य की पैड़ी चढ़ जइयो,
हरि भजन बिना मुक्ति ना होवे व्रत करो एकादशी का.......
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