थे ही तो म्हारा मायड़ बाप जी,
ओ म्हारा खाटू रा सिरदार,
नैया पड़ी है मँझधार उतारो पार
डगमग डगमग़ डौलती नैया डुबेली मँझधार,
आके सम्भालो पतवार उतारो पार
जीवन घोर अंधेर में जी नहीं सूझे कोई पार,
ल्यो म्हाने इब तो उबार उतारो पार
ल्यो म्हाने इब तो उबार उतारो पार
झिरमिर बह रही म्हारे आसुडे री धार,
रो रो करे है पुकार उतारो पार
भर भर आवे म्हारो कालजो बाबा थारो ही आधार,
कर दो कृपा करतार उतारो पार
थारे चरणों म्हाने राखज्यो जी थे तो चाकर,
कृष्ण मुरार चेतन करे है पुकार,
थे ही तो म्हारा मायड़ बाप जी,
म्हारा खाटू रा सिरदार,
नैया पड़ी है मँझधार उतारो पार
डगमग डगमग़ डौलती नैया डुबेली मँझधार,
आके सम्भालो पतवार उतारो पार