जद से दादी ठाठन नगरी थारी आवन लगाएया
म्हारा अटका सारा काज थे बनावन लागेया
हाथो हाथ मिले है परचो पुरे वर्ष को देवे खरर्चो
ये तो भर भर झोली कलकते ले जावन लगेया
म्हारा अटका सारा काज थे बनावन लागेया
अपने घर सो घाणघंड लावे आवा हां परिवार के सागे,
थाणे दुःख सुख की सारी बात सुनावन लागेया
म्हारा अटका सारा काज थे बनावन लागेया
जब से थारी शरण में आया
दादी जी आराम है पाया,
ये तो घूम घूम के दुनिया ने बतलावन लगाये
म्हारा अटका सारा काज थे बनावन लागेया
ढानढन आयो बिगड़ी बन गई
बोले पवन की किस्मत खुल गई
इब तो हाजरी में अवाम्स में लगावन लागेया
म्हारा अटका सारा काज थे बनावन लागेया