दिखलाये ये जोर बदलियां कितना बरस ती है,
मेरे सिर पे झुँझन वाली चुनरियाँ डालके रखती है,
दिखलाये ये जोर बदलियां कितना बरस ती है,
चुनरी की छाव में रहते बरस कई बीत गये रे,
सिर पे कभी हटे न चुनरी इतना हम सीख गये जी,
इस चुनड़ी के रहते मुसीबत छू नहीं सकती है,
मेरे सिर पे झुँझन वाली चुनरियाँ डालके रखती है,
तेरी ममता के अंचल में हम तो पले बड़े माँ,
थाम के ऊँगली तेरी हम तो हुए बड़े माँ,
दादी के है लाडले हम दुनिया कहती है,
मेरे सिर पे झुँझन वाली चुनरियाँ डालके रखती है,
करिश्मा इस चुनड़ी का देखना अगर चाहो तुम,
दादी झुँझन वाली के शरण में आ जाओ तुम,
वनवारी भगतो के त्यार माँ रहती है,
मेरे सिर पे झुँझन वाली चुनरियाँ डालके रखती है,