जिन्हें देखने को जिए जा रहे हैं
वो पर्दे पे पर्दा किए जा रहे हैं,
निकल आओ पर्दे से बाँके बिहारी,
हमें तेरा पर्दा गवारा नही है
बताओ यों पर्दों में कब तक छिपोगे,
तुम्हें मुख से पर्दा हटाना पड़ेगा,
मुबारक रहे तुमको मेरी मोहब्बत,
तुम्हे सामने मेरे आना पड़ेगा
तुम मेरे पास बैठो तसल्ली न हो,
वक्त मेरा भी अच्छा गुजर जायेगा,
ये क्या कम है कन्हैया तेरे आने से,
मौत का भी इरादा बदल जायेगा
मेरे रोने से तुमको जो आये खुशी,
तो मैं रो रो के तुमको मनाया करूँ,
मेरी इसमें खुशी तुम रूठा करो,
मैं अकेले में तुमको मनाया करूँ
कोई पागल है धन दौलत का,
कोई पागल बेटे नारी का,
असली पागल वो ही है,
जो पागल बाँके बिहारी का
दवा देगा वही आकर उसी की इंतजारी है,
हमारा वैद्य दुनिया में वो बाँके बिहारी है
न सताओ हमें ए जग वालो हमें दिल की बामारी है,
हमारा वैद्य दुनिया मे वो बाँके बिहारी है
मधुर - स्वर - पूज्य श्री अशोक कृष्ण ठाकुर जी महाराज