ओ मेरे श्याम तूने मुझको क्यों भुला डाला,
बह गये अरमा तूने मुझको क्यों रुला डाला
ओ मेरे श्याम तूने मुझको क्यों भुला डाला,
छोड़ के तन्हा इस जहां में मुझ अभागन को ,
चले गये हो बिन बताये अपनी जोगन को,
उम्र भर तेरे आने को इंतज़ार करू
मेरे कान्हा मैं फिर भी तुझसे बहुत प्यार करू,
तुम भी रज छोड़ कर जब से चले गये हो,
हमने इस दिल को ही पत्थर का बना डाला,
ओ मेरे श्याम तूने मुझको क्यों भुला डाला,
तुम्हे तो याद मेरी एक पल नहीं आती,
अब तो इक भी पल जुदाई सही न जाती
तूने जो छोड़ा गोकुल की गली कान्हा,
तरस ती है तेरे दीदार को गोपियाँ राधा,
यु तो नैना तुम्हे देखने को चाहे,
रात को दिन सुबह को शाम ही बना डाला,
ओ मेरे श्याम तूने मुझको क्यों भुला डाला,