कहानी सूरदास का विश्वास

एक बार की बात है, सुनो लगाकर ध्यान,
सूरदास जी को हुआ, इक दिन अन्तर्ज्ञान,
कृष्ण बुलाते हैं मुझे बृज-भूमि की ओर,
देख रहे हैं रास्ता, निस-दिन नवल किशोर,
सूरदास जी चल पड़े मन में निश्चय ठान,
एक बार की बात है......

ठोकर पर ठोकर लगे, जगत करे उपहास,
आँखों से दिखता नहीं, मन में है विशवास,
आप करेंगे रास्ता मुरली-धर  आसान,
एक बार की बात है......

सूर अचानक गिर पड़े गहरे खड्डे बीच,
चीख़े चिल्लाए बहुत हे गिरधर जगदीश,
मेरी विपदा से हुए क्योंकर तुम अनजान,
एक बार की बात है......

रूप धरा तब ग्वाल का मोहन गोपीनाथ,
मंज़िल तक लेकर चले, पकड़ भक्त का हाथ,
सूरदास प्रभु को गए मन ही मन पहचान,
एक बार की बात है.......

श्याम ने माँगी विदा और छुड़ायो हाथ,
सूरदास तब कह उठे, हे नाथों के नाथ,

बाँह छुड़ाए जात हो निरबल जान के मोहे,
हिरदय से जब जाओगे, तब जानूँगो तोहे,
मन में साहिल भक्त के बसे सदा भगवान,
एक बार की बात है.......
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