सुणल्यो सहेल्यो म्हारी भाइल्यो,
सुणल्यो सहेल्यो म्हारी भाइल्यों,
सुपनो जी आयो आधी रात,
सहेल्यो थाने सुपनो सुणाऊँ रै।
नौं तो कुआँ दस बावड़ी,
भरिया ताळ तळाब,
सुपने में म्हे तो सासरियो देख्यो ऐ,
ऊँची मेडी चढ़ चली,
गढ छुवें असमान,
सासरियो म्हाने बालो जी लाग्यो ऐ,
सासरियो म्हाने बालो लाग्यों ऐ।
मायड़ सी म्हारी सास छी,
बाबल सा ससुर सुजान,
नणदुली म्हाने घणी मन भाई ऐ,
सेज बिछी रंग महल में,
फूलां सूँ सेज सजाई,
पियाजी रंग महलां पधारया ऐ,
पियाजी रंग महला पधारया ऐ।
मधरी मधरी चाल छी,
होठाँ पे मुस्कान,
पियाजी म्हारे घणां मन भाया ऐ,
पियाजी म्हारे घणा मन भाया ऐ,
घूँघटों ऊठायो म्हारो प्रेम सै,
नैणा सूं नैण मिलाया,
पियाजी म्हारे नैणा में समाया ऐ
पियाजी म्हारे नैणां में समाया ऐ।
पलकां झुकी म्हारी लाज सै,
होठां सुँ बोल्यो नहीं जाए,
पियाजी म्हाने अंग लगाया ऐ,
पियाजी म्हानें अंग लगाया ऐ।
पाछे सुपनो टुट गयो,
रहगी अधूरी आस,
सहेल्यो थाने अब के सुणाऊ ऐ
सहेल्यो थानें इब के सुणाऊ ऐ।