घर में भूखी बैठी मात बाहर लंगर लगावे रे

घर में भूखी बैठी मात बाहर लंगर लगावे रे,
बाहर लंगर लगावे रे बाहर भंडारे करावे रे,
घर में भूखी बैठी मात.....

चार चार मैंने बेटे पाले,
मेरी दो रोटी के लाले,
बुढ़ापा सबको आवे रे, बुढ़ापा सबको आवे रे,
घर में भूखी बैठी मात.....

मात-पिता की कदर करे ना,
शर्म लाज से कभी डरे ना,
साथ तेरे कुछ ना जावे रे, साथ तेरे कुछ ना जावे रे,
घर में भूखी बैठी मात.....

घड़ा पाप का फुटे रे बेटा,
यह दुनिया तुझे लूटेरे बेटा,
फिर तुझे कौन बजावे रे यह कौन बजावे रे,
घर में भूखी बैठी मात.....

मात पिता को भूलो मत ना,
नींद नशे में झूमे मत ना,
मात तेरी तुझे समझावे रे माता तेरी तुझे समझावे रे,
घर में भूखी बैठी मात.....
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