श्याम नाम की सर पे है छतरी,
काँटों भरी कोई राह नहीं,
ग़मों की बारिश आ जाए तो,
हमें कोई परवाह नहीं।
श्याम नाम की सर पे है छतरी,
काँटों भरी कोई राह नहीं,
ग़मों की बारिश आ जाए तो,
हमें कोई परवाह नहीं।
साए मैं हूँ श्याम नाम के,
हमें धूप की फ़िकर नहीं,
चाहे ओले बरसे दुखों के,
हमको कोई असर नहीं,
हमकों कोई असर नहीं,
हमसे बड़ा कोई शाह नहीं,
ग़मों की बारिश आ जाए तो,
हमें कोई परवाह नहीं।
श्याम नाम की सर पे है छतरी,
काँटों भरी कोई राह नहीं।
क्यों आँधी से घबराऊँ मैं,
आगे मेरा श्याम चले,
नहीं छोड़ता पल भर मुझको,
साथ वो सुबह शाम चले,
पल भर को भी श्याम की मुझसे,
हटती निग़ाह नहीं,
ग़मों की बारिश आ जाए तो,
हमें कोई परवाह नहीं।
श्याम नाम की सर पे है छतरी,
काँटों भरी कोई राह नहीं।
जबसे हूँ मैं उसकी नजर में,
नजर मेरी कभी झुकी नहीं,
आँगन में बरसात ख़ुशी की,
पल भर को भी रुकी नहीं,
सब कुछ पाया श्याम के दर से,
रही मुझे कोई चाह नहीं,
ग़मों की बारिश आ जाए तो,
हमें कोई परवाह नहीं।
श्याम नाम की सर पे है छतरी,
काँटों भरी कोई राह नहीं।