अपना तो श्याम सहारा,
दूजा ना ठिकाना,
कहता है श्याम दीवाना मुझको ये जमाना,
के जिसको इसकी भक्ति का खुमार चड़ता है,
उसकी नैया श्याम ही पार करता है…...
जीवन मे टेढी मेढ़ी गालिया मैने जब पायी,
आगे बड़ता तो कुआ पीछे मिलती खाई,
फिर मुझको सांवरिया ने आकर है संभाला,
की जिसको इसकी भक्ति का खुमार चड़ता है,
उसकी नैया श्याम ही पार करता है,
अपना तो श्याम…….
पहले पेदल चलता था,
मुझको गाड़ी दिलवाई,
रहने के खातिर मेरी कोठी भी बनवाई,
इसकी कृपा को गाकर बतलाउ अफसाना,
की जिसको इसकी भक्ति का खुमार चढ़ता ही,
उसकी नैया श्याम ही पार करता है,
अपना तो श्याम सहारा…...
पहले जो काम ना आते,
अब मेरा साथ निभाते,
सबकी नजरो मे मुझको दिखता है याराना,
की जिसको इसकी भक्ति का खुमार चढ़ता है,
उसकी नैया श्याम ही पार करता है,
अपना तो श्याम सहारा.....