म्हारा श्याम बहादुर जी, थे कैयां पट खुलवाया
सेवक से मांगी चाबी जद, वो करदी इनकार
सेवक बोल्यौ खुद खुलवाल्यो, बाबो थारो यार
म्हारा श्याम बहादुर जी, थे कैयां पट खुलवाया
इतनी सुनकर गुरू वर बोल्या, अब कोनी दरकार
म्हारो बाबा खुद खोलेगो, अपनों यो दरबार
म्हारा श्याम बहादुर जी, थे कैयां पट खुलवाया
जय जयकार करी भगता नै, बाबो हांसन लाग्यो
बांको बालक जिद पै अड़कर लेन समाधि चाल्यो
म्हारा श्याम बहादुर जी, थे कैयां पट खुलवाया
लेकर हाथां मोरछड़ी जद, श्याम धनी नै ध्यायो
बालक खातिर बाबो उठकर आधी रात नै आयो
म्हारा श्याम बहादुर जी, थे अइयां पट खुलवाया
खोल किवाडी दर्शन देकर ,"लाल" नै खूब नचायो
फूल की वर्षा हुई घनेरी , चमत्कार दिखलायो
म्हारा श्याम बहादुर जी, थे अइयां पट खुलवाया