जैसे ग़ज़ कि रखी थी वैसे आज रखना।
रघुवर-रघुवर मेरी लाज रखना।
रघुवर-रघुवर मेरी लाज रखना,
अपनी भक्ति का मुझको मोहताज़ रखना।
रघुवर-रघुवर.....
यहाँ माया बड़ी चालाकी से मुझको,
मन पे छाया है लगाया है उल्टा फेरा।
जो मेरा है नही सबसे करीब लगता है,
इसी के वास्ते रोते अजीब लगता है।
मेरे सर पव हमेशा तू हाथ रखना।
रघुवर-रघुवर.....
मैं किताबो में पढ़ा गणिका को तारा है,
और ज्ञानियों से सुना रत्नाकर को मार है।
तेरी कृपा हुआ तो मरा शब्द मंत्र बना,
लिखा मानस जो पाप जलाने का यंत्र बना।
गाँउ जब ताक मैं तुझको आवाज़ रखना
रघुवर-रघुवर.....
मैं गुनहगार हूँ मेरा गुनाह भारी है,
सही पूछो तो और करने का तैयारी है।
अगर तू चाहो गुनाह करने से बचा लोगे,
वही संभलेगा प्रभु जिसको तुम संभालोगे।
जैसे ग़ज़ कि रखी थी वैसे आज रखना।
रघुवर-रघुवर.....