हो मेरी नैया में लक्ष्मण राम हे सरयू मैया धीरे बहो

हो मेरी नैया में लक्ष्मण राम हे सरयू मैया धीरे बहो,

उछल उछल मत मारो हिलकोरे,
देखियो उछाल मेरो मनवा डोले,
मेरी नैया में चारो धाम
हे सरयू मैया धीरे बहो,

टूटी फूटी काठ की नैया,
तुम बिन नैया के कौन खवइयाँ,
मेरी नैया है बीच मझधार,
हे सरयू मैया धीरे बहो,

दीं दुखी के तुम रखवाले,
दुष्टो को भी तारने वाले आज आये है मेरे धाम,
हे सरयू मैया धीरे बहो,
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