देख करके हालत मेरे राम की,सरयू माँ के आँसू बह रहे हैं
सूनी हैं गलियाँ अवध धाम की,सरयू माँ के आँसू बह रहे हैं
कैसा है कलियुग कैसी,कलियुग की माया है,भगवान बेघर हो चला
करते ज़माने का जो,फ़ैसला उन्हीं का,कोर्ट करेगा फ़ैसला
बात है ये राम के अपमान की,सरयू के आँसू कह रहे
तम्बू में बैठा है वो,जो जगत का स्वामी है,दुनिया है चलती जिसके नाम पे
शर्मिन्दगी में ज़िन्दा,रहने से अच्छा है,जीवन लुटा दूँ अपने राम पे
ज़िन्दगी है ऐसी किस काम की,सरयू के आँसू बह रहे
सरयू की धारा में,डूब जाना चाहिए,करते जो मन्दिर का विरोध हैं
वरना प्रलय आएगी,भूचाल आएगा,रामजी को आने वाला क्रोध है
मोहित को चिन्ता है न जान की,सरयू के आँसू बह रहे हैं
Writer :- Mohit Sai (Ayodhya) 9044466616