तू मिला तो मिली ऐसी जन्नत मुझे

तू मिला तो मिली ऐसी जन्नत मुझे,
अब किसी और जन्नत की परवाह नहीं....-2

मिट गए फासले कम हुई दूरियां,
खत्म होने को हैं सारी मजबूरियां......


वक्त ने बख्श दी ऐसी राहत मुझे,
अब किसी और राहत की परवाह नहीं...-3
तू मिला तो ऐसी जन्नत मुझे,
अब किसी और जन्नत की परवाह नहीं....


जाने क्या राह में लोग कहते रहें,
रूह तड़पती रही, हंस के सहते रहे...

(जिसका जो मन आया सो कहना शुरू कर दिया
यार से ऐसी यारी करी, जमाने ने कुछ न कुछ तो कह ही दिया
किसी ने अच्छा कहा, किसी ने बुरा कहा
किसी ने कुछ न कहा, किसी ने ऐसा कहा जो सच न कहा)

जाने क्या राह में लोग कहते रहें,
रूह तड़पती रही, हंस के सहते रहे,

तेरी रहमत ने दी जो मोहब्बत मुझे,
अब किसी भी मोहब्बत की परवाह नहीं...-3
तू मिला तो मिली ऐसी जन्नत मुझे .....


एक मुद्दत इसी कशमकश में रही,
जिसकी थी आरज़ू बात भी बन गई

ख़्वाब सारे हकीकत ही लगते मुझे,
अब किसी भी हकीकत की परवाह नहीं...-3
तू मिला तो मिली ऐसी जन्नत मुझे....

गोपाला, गोपाला, मुरलीमनोहर नन्दलाला ..............
मेरो राधा वल्लभ गोपाला .............
गोपाला, गोपाला, राधा वल्लभ गोपाला .............
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