कान्हा परे हट जा

कृष्ण कन्हैया कारे कारे |
राधा गोरी गोरी ||
इक कहावे नंद का लाला |
इक वृषभान किशोरी ||


मोहे जमुना पे जाना कन्हैया मार्ग छोड़ परे हट जा,
मैं तेरा दीवाना राधिका कर ले बात जरा डट जा,
मोहे जमुना पर जाना कन्हैया मार्ग छोड़ परे हट जा,
मैं तेरा दीवाना राधिका कर ले बात जरा डट जा......


मेरी सुनले प्रेम भरी वाणी,
नखरा छोड़ो अब ब्रजरानी,
मत मौतें करे छेड़खानी,
तोपे मार पड़ेगी अभिमानी,
तेरे प्यार का…….., मस्ताना,
राधिका करले बात जरा डट जा,
मैं तेरा दीवाना राधिका कर ले बात जरा डट जा……..


तोहे लाज शर्म ना आवे है,
यू मोह ते रार मचावे है,
काहे श्यामा तू शरमावे है,
क्यू ना मोह संग खेल रचावे है,
मोहे घट भर……….,के लाना,
कन्हैया मार्ग छोड़ परे हट जा,
मोहे जमुना पर जाना कन्हैया मार्ग छोड़ परे हट जा…….


नंदगाँव से चलके मैं आया हूँ,
संग में बंसी को भी लाया हूँ,
छलिया छल भरी तेरी माया,
कोई अब तक जान नहीं पाया,
लागे प्यारो………..,बरसाना,
राधिका कर ले बात जरा डट जा,
मैं तेरा दीवाना राधिका कर ले बात जरा डट जा……..


मैं भी तेरे प्रेम की प्यासी हूँ,
कहे भूलन रहत उदासी हूँ,
सब कहे सदा अविनाशी हूँ,
मैं भी तेरा विश्वासी हूँ,
तेरे भाव को………..,पहचाना,
कन्हैया मारे छोड़ परे हट जा,
मोहे जमुना पर जाना कन्हैया मार्ग छोड़ परे हट जा,
मैं तेरा दीवाना राधिका कर ले बात जरा डट जा……...
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