माँ गौरा माता है मेरी,
पिता है भोलेनाथ जी,
मेरे सर पे सदा ही रहता,
आप दोनों का हाथ जी।।
ना पूजा ना जप तप जानू,
भक्ति से अनजान हूँ मैं,
लाख बुराई है मुझमे पर,
आप की ही संतान हूँ मैं,
उमापति तुम जगत पिता हो,
मैं तो नाथ अनाथ जी,
मेरे सर पे सदा ही रहता,
आप दोनों का हाथ जी।।
बड़े भाग्य से ही हमको तो,
ये सच्चा दरबार मिला,
भोले बाबा की किर्पा,
और माँ गौरा का प्यार मिला,
ये तो किर्पा आपकी है,
मेरी क्या औकात जी,
मेरे सर पे सदा ही रहता,
आप दोनों का हाथ जी।।
जिस रस्ते पे ले जाओ तुम,
उस रस्ते पे चलना है,
‘उर्मिल’ तो हमे शिव शम्भु के,
चरणों में ही रहना है,
दर तेरा मैं छोडूं ना,
चाहे कैसे हो हालात जी,
मेरे सर पे सदा ही रहता,
आप दोनों का हाथ जी।।
माँ गौरा माता है मेरी,
पिता है भोलेनाथ जी,
मेरे सर पे सदा ही रहता,
आप दोनों का हाथ जी..........