मेरी विनती ना इगनोर करो,
अर्जेंट काम बाबा स्योर करो,
एक साल तेरे भगतांन तू कुछ भी दे,
मेरे भोलेनाथ कोरोना की छाती पे त्रिशूल चला दे,
मेरे भोलेनाथ कोरोना की छाती पे त्रिशूल चला दे.......
सब चौपट हो गए धंधे हैं, सब कैद घरां में बन्दे हैं,
बनड़ा बनते बनते रह गए, उनके घने भाग मंदे हैं,
कार्ड तक भी बंट गए थे, तू डीजे फेर बजवा दे,
मेरे भोलेनाथ कोरोना की छाती पे त्रिशूल चला दे,
मेरे भोलेनाथ कोरोना की छाती पे त्रिशूल चला दे......
दुनियाँ में कहर मचाया है, बड़ा माड़ा टैम दिखाया है,
तू उनके चूड़ी चढ़ा बाबा, जिनने यो कहर मचाया है,
पकड़ के इस वायरस की मुंडी, तू धुनें बीच जला दे,
मेरे भोलेनाथ कोरोना की छाती पे त्रिशूल चला दे,
मेरे भोलेनाथ कोरोना की छाती पे त्रिशूल चला दे......
तू नीलकंठ कहलाता है, देवों का मान बढ़ाता है,
पर तेरा और मेरा तो भगवान् भगत का नाता है,
“कमल सिंह” कैलाश छोड़ के एक राउंड जगत का लादे,
मेरे भोलेनाथ कोरोना की छाती पे त्रिशूल चला दे,
मेरे भोलेनाथ कोरोना की छाती पे त्रिशूल चला दे.......