भोले की कावड़ ल्यांऊ या मेरा मन ललचावे से जब सावन मेला आवे से,
कोई बड़ा बम कोई छोटा से कोई खरा से कोई खोटा से,
कोई लगा समाधि बैठा से कोई झूम झूम के गावे से,
जब सावन मेला आवे से,
भोले की कावड़ ल्यांऊ......
तेरे नाम के ला के जैकारे बम बम गावे कावड़ थारे,
पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण सारे बम बम गावे से,
जब सावन मेला आवे से,
भोले की कावड़ ल्यांऊ......
बम भोले के करके दर्शन मेरा दिल भी हो जाता प्रशन,
भीम साइन को भोले नाथ चरणों में शीश झुकावे से जब सावन मेला आवे से,
जब सावन मेला आवे से,
भोले की कावड़ ल्यांऊ......