भूतनाथ जै भूतेश्वर हैं नाथ हमारे काशी में।
घंघनात घन घन घंटा नित सांझ सकारे काशी में ॥
त्रिशूलधारी शिव भोले का हाल भला है क्या कहना ।
बम बम हर हर महादेव नित सांझ सकारे काशी में ॥
हैं आप दयालु दयानाथ जै कालेश्वर जै भलेश्वर ।
त्र्यलोक से यह पावन नगरी है निज हाथ सवारे काशी में॥
हैं त्रिशूल पर यह शिवजी के जिसका वर्णन ग्रंथो में है ।
देवो के देव है महादेव भक्तों के प्यारे काशी में॥
ग्रीवब्याल सर गंग भाल कलोंकेकाल हैं सर्वेश्वर ।
अम्बिका हमेशा रहते हैं आपके सहारे काशी में ॥