जपो रे मन राम रमैया, रमैया राम रमैया,
जपो रे मन राम रमैया, रमैया राम रमैया,
भवसागर से पार लगेगी तेरी जीवन नैया,
जपो रे मन राम रमैया, रमैया राम रमैया॥
पंचतत्व की निर्मल काया, प्रभु प्रसाद से पाई
माया ईर्ष्या द्धेष कपट विशियों में सदा गवाईं,
अब तो चेत अरे अज्ञानी, वो ही पार लगैया
जपो रे मन राम रमैया, रमैया राम रमैया॥
राम नाम की अमर औषधि, जनम मरण छूट जावे,
राम कृपा से परमपात की, मोक्ष अमर पद पावे,
छीन छीन पल पल आयु जात है, यों पानी में नैया,
जपो रे मन राम रमैया, रमैया राम रमैया॥
भाई बंधू और कुटुंब कबीला, देख देख इतराता,
पर तारा पर संपत्ति खातिर, ब्रह्मित मूड ललचाता,
वही कोशिलाधीश विमल प्रभु, वही है दशरथ छैया,
जपो रे मन राम रमैया, रमैया राम रमैया॥
जपो रे मन राम रमैया, रमैया राम रमैया,
जपो रे मन राम रमैया, रमैया राम रमैया,
भवसागर से पार लगेगी तेरी जीवन नैया,
जपो रे मन राम रमैया, रमैया राम रमैया॥