प्रभु सुनो विनती हमारी छोड़ के सारी दुनिया को अब आये शरण तुम्हारी
प्रभु सुनो विनती हमारी
भव सागर में अटकी नैया भवर पड़ी अति भारी
आकर के प्रभु पार लगा लो तुम हो तारण हारी
प्रभु सुनो विनती हमारी
भाई बंधू का मोह न त्यागा माया जाल बिछाया
ना कभी बेठ प्रेम से हमने पूजा करी तुम्हारी
प्रभु सुनो विनती हमारी
कब से तुम्हे पुकार रहे सुनो इतनी अर्ज हमारी
शरणागति को पाकर के हम सेवा करे तुम्हारी
प्रभु सुनो विनती हमारी
जन्म मरन का चकर छुडा के अपने पास बुलाले
अब तो सब के कष्ट मिटा दे कितनी उमर गुजारी
प्रभु सुनो विनती हमारी