अजी हार कर के,
कहाँ जाओगे तुम,
जहाँ जाओगे तुम,
इन्हे पाओगे तुम,
अजी हार कर के,
कहाँ जाओगे तुम।।
वचन जो दिया है,
निभाता रहेगा,
ये हारे हुए को,
जीताता रहेगा,
चाहे लाख पर्दो में,
छुपकर के रह लो,
मगर इनको हरपल,
नजर आओगे तुम,
अजी हार कर के,
कहाँ जाओगे तुम..........
जो दिल में छिपा है,
इन्हे तू बता दे,
तेरे मन की पीड़ा,
इन्हे तू सुना दे,
गिरे को गिराना,
है रीत पुरानी,
मगर इनको पा के,
संभल जाओगे तुम,
अजी हार कर के,
कहाँ जाओगे तुम.......
कहे श्याम इनसे,
तू रिश्ता बना ले,
ग़मों की तू बदली,
को पल में हटा ले,
चाहे जाओ ना जाओं,
फिर तुम कहीं भी,
मगर ज़िन्दगी भर,
यहाँ आओगे तुम,
अजी हार कर के,
कहाँ जाओगे तुम,
जहाँ जाओगे तुम,
इन्हे पाओगे तुम........