थोड़ा कर तू विचार बाबा सुन ले पुकार,

थोड़ा कर तू विचार बाबा सुन ले पुकार,
सारी दुनिया ने लुटा मुझको मैं तो गया हार,
सुनले पुकार मुस्कुराऊ या ख़ाली लौट जाऊ,

जिनसे बड़ी उम्मीद थी मुझको वो ही अकेला छोड़ गए,
गेरो की क्या बात करू अपने भी रिश्ता तोड़ गये
मुझसे रूठी बहार हुए दुशमन हज़ार मेरी खुशियों को जैसे कोई डसने को त्यार,
मुस्कुराऊ या ख़ाली लौट जाऊ.....

तू तो दयालु है रे बाबा फिर तू क्यों चुप बैठा है,
जिसको देखे वो ही तुझे हारे का सहारा कहता है,
बहे अंसुवन की धार करे तुझसे पुकार तूने लाखो को तारा मेरा करदे बेडा पार,
मुस्कुराऊ या ख़ाली लौट जाऊ.....

चौकठ पे तेरे बैठ के बाबा आराधन में करता हु,
जाता राहु गन जन्म जन्म तक तुझसे वाधा करता हु,
मुझको देदे थोड़ा प्यार विनती करले स्वीकार,
मेरी बगिया में लेहरी आये तुझसे ही बहार,
मुस्कुराऊ या ख़ाली लौट जाऊ.....
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