राधे तेरे बरसाने, मंजिल गर मिल जाये,
दुनिया की दलदल से, जीवन यह निकल जाये॥
तेरा धाम ये बरसाना, तीहुंलोक से न्यारा है,
चले मंद सुगन्ध जहां, बहती रसधारा है,
रस अमृत पी करके, मुक्ति यहां मिल जाये,
दुनिया की दलदल से, जीवन यह निकल जाये,
राधे तेरे बरसाने, मंजिल गर मिल जाये॥
तेरे बरसाने बसती, सुख शान्ति परम भक्ति,
तेरी प्रेम नगरिया में, अद्धभुत है भरी मस्ती,
इक बार जो आ जाये, तकदीर बदल जाये,
दुनिया की दलदल से, जीवन यह निकल जाये,
राधे तेरे बरसाने, मंजिल गर मिल जाये॥
कान्हा भी दीवाना तेरा, निशदिन यहां आता है,
रस ले के तुम्हीं से मधुप, बंसी को बजाता है,
रस भरदो मुझमें भी, तन मन यह खिल जाये,
दुनिया की दलदल से, जीवन यह निकल जाये,
राधे तेरे बरसाने, मंजिल गर मिल जाये॥