हरी मेरे जीवन प्राण आधार और आसरो नहीं तुम बिन तीनो लोक मझार आप बिना मोहे कछु ना सुहावे निरख्यो सब संसार मीरा कहे मई दासी रावरी दीजो मति बिसार