कोठे ऊपर कोठड़ी, मैया का भवन सजा दूँगी.....-2
जो मेरी मैया टिका माँगे, बिंदी और लगा दूँगी,
जब मेरी मैया पैहन के निकलै, जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी, मैया का भवन सजा दूँगी॥
जो मेरी मैया कुंडल माँगे, नथनी भी पैहना दूंगी,
जो मेरी मैया पैहन के निकलै, जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी, मैया का भवन सजा दूँगी॥
जो मेरी मैया पैंडल माँगे, माला भी पैहना दूंगी,
जो मेरी मैया पैहन के निकलै, जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी, मैया का भवन सजा दूँगी॥
जो मेरी मैया चूड़ी माँगे, मेहंदी भी लगवा दूंगी,
जो मेरी मैया पैहर के निकलै, जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी, मैया का भवन सजा दूँगी॥
जो मेरी मैया चोला माँगे, चुनर भी ओढ़ा दूंगी,
जब मेरी मैया ओढ़ के निकले, जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी, मैया का भवन सजा दूँगी॥
जो मेरी मैया पायल माँगे, बिछुए भी मँगा दूंगी,
जो मेरी मैया पैहर के निकलै, जयकारा लगा दूंगी,
कोठे ऊपर कोठड़ी, मैया का भवन सजा दूँगी॥
जो मेरी हलवा मांगे, पूरी भी बना दूंगी,
जब मेरी मैया भोग लगाए, जयकारा लगा दूंगी
कोठे ऊपर कोठड़ी, मैया का भवन सजा दूँगी॥