काल पापियों का बन आई

नैनों से बरसाए ज्वाला, पहनी है मुंडो की माला l
आज नहीं तीनों लोकों में, काली को कोई रोकने वाला l
धरती धड़की बिजली कड़की ll, जब तलवार उठाई,,,  
"काल पापियों का बन आई, आज कालका माई" ll

रक्त बीज का रक्त पिया है, "चंड मुंड संहार दिए" l
पलक झपकते ही मधु कैटभ, "मौत के घाट उतार दिए" ll
रण चंडी ने रण भूमि में ll, ऐसी परलह मचाई,,,
काल पापियों का बन आई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

केश खोलकर किया है ताँडव, "माँ कलकत्ते वाली ने" l
आग लगा दी उधर जिधर भी, "दो पल देखा काली ने" ll
भस्म कर दिया उसे देखके ll, जिसने भी की परछाई,,,
काल पापियों का बन आई,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

क्रोध देख कर महाँकाली का, "महाँकाल घबराए" l
लेट गए चंडी की राह में, "सूझा नही उपाए" ll
शिव को चरणों में जब देखा ll, तब तलवार गिराई,,,
"मुस्करा कर बोले भोले, तेरी जय हो कालका माई" ll
अपलोडर- अनिलरामूर्तीभोपाल

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