कर ले भजन तू भाव से,
ये रात हो ना हो,
कल का है आसरा क्या,
यूँ बात हो ना हो,
कर ले भजन तु भाव से।।
कीर्तन की एक रात ये,
मिलती नसीब से,
दीखता है हमको सांवरा,
इतने करीब से,
यूँ रूबरू मिलन की फिर,
सौगात हो ना हो,
कल का है आसरा क्या,
यूँ बात हो ना हो,
कर ले भजन तु भाव से।।
तू सांवरे को प्रेम से,
जी भर निहार ले,
सब गलतियों को मान ले,
जीवन सुधार ले,
किरपा की जाने फिर कभी,
बरसात हो ना हो,
कल का है आसरा क्या,
यूँ बात हो ना हो,
कर ले भजन तु भाव से।।
मेवों से ना मिष्ठान से,
पकवान से नहीं,
ये रीझता वही पे है,
गर हो भजन कहीं,
‘गुलशन’ लगा ले हाजरी,
औकात हो ना हो,
कल का है आसरा क्या,
यूँ बात हो ना हो,
कर ले भजन तु भाव से।।
कर ले भजन तू भाव से,
ये रात हो ना हो,
कल का है आसरा क्या,
यूँ बात हो ना हो,
कर ले भजन तु भाव से।।