ना जाने ये दुनिया किस पे इतराती है,
सब कुछ यही रह जाता जब घडी वो आती है,
पानी के बुलबले सी औकात है दुनिया की,
फिर भी ये सदियों का सामान सजाती है,
ना जाने ये दुनिया.....
यहाँ क्या तेरा मेरा नही कोई किसी का है,
नादान है ये दुनिया जो अपना बताती है,
ना जाने ये दुनिया....
माना ये धन माया एक सुख का साधन है,
बेकार है वो दोलत जो प्रभु को बुलाती है,
ना जाने ये दुनिया......
किस्मत दे अगर धोखा मत इसका गीला करना,
सुख दुःख है वो छाया जो आती जाती है,
ना जाने ये दुनिया.....
दुःख पाए गा गजे सिंह क्यों तू श्याम शरण में जा,
फिर देख दया उसकी क्या रंग दिखाती है