मेरी आँखों में साईं का दरबार है
उनकी रेहमत को मेरा नमस्कार है
भेद कोई नहीं राम रेहमान में
मत करो फ़र्क इन्सान इन्सान में
सीख बाबा की ये जग पे उपकार है
उनकी रेहमत को मेरा नमस्कार है
जिसने जो माँगा साईं के दर से मिला
सुख जहाँ का वहाँ के सफर से मिला
यूँ नहीं शिर्डीमय सारा संसार है
उनकी रेहमत को मेरा नमस्कार है
साईं बाबा की जो भी शरण में गया
जिसका सिर दिल से उनके चरण में गया
हो गया समझो 'हरि' उसका उद्धार है
उनकी रेहमत को मेरा नमस्कार है
लेखक:-
डा० हरि प्रकाश श्रीवास्तव'फ़ैज़ाबादी'
09450489789
गायक:-
मोहित श्रीवास्तव 'मोहित साईं'
09044466616