भैया मेरे कैसे करूं सहाय

भैया मेरे कैसे करूं सहाई,
मुझे जैसे पापी के कारण तुमने बन में ठोकर खाई,
भैया मेरे कैसे करूं सहाई.....

मैं निर्भागी कर्म का हीना,
मुश्किल कर दिया मेरा जीना,
छल से राज भरत को दीना, दुनिया करे बुराई,
रे भैया मेरे कैसे करूं सहाई.....

रूठ गए उपवन के मालिक,
रूठ गई घर की खुशहाली,
खंडित पड़ी खीर की थाली, घर में बड़ी हसाई,
अरे भैया मेरे कैसे करूं सहाई.....

बालक पन में गोद खिलाया,
खुद हारे और मुझे जिताया,
मैं अपना और राम पराया, धन-धन केकई माई,
रे भैया मेरे कैसे करूं सहाई.....

गुरु गुणों की खान रहे ना,
सुखी रहे पुण्य दान रहे ना,
पाप पुण्य तो ले पनबढ़िया, हरी ना छोड़े एक पाई,
रे भैया मेरे कैसे करूं सहाई.....
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