मत मारे द्रगन की चोट ओ रसिया होली में मेरे लग जाएगी॥
मैं बेटी बृजभान बाबा की,
और तुम हो नंद के ढोट ओ रसिया होली में मेरे लग जाएगी,
मत मारे द्रगन की चोट....
मुझको तो लाज बड़े कुल घर की,
और तुमने बड़े-बड़े खोट को रसिया होली में मेरे लग जाएगी,
मत मारे द्रगन की चोट....
पहली चोट बचाए गई कान्हा,
कर नेनन की ओट ओ रसिया होली में मेरे लग जाएगी,
मत मारे द्रगन की चोट....
दूजी चोट बचाई गई कान्हा,
कर घूंघट की ओट ओ रसिया होली में मेरे लग जाएगी,
मत मारे द्रगन की चोट....
तीजी चोट बचाई गई कान्हा,
कर लहंगा की ओट ओ रसिया होली में मेरे लग जाएगी,
मत मारे द्रगन की चोट....
नंदकिशोर वही जाए खेलो,
जहां मिले तुम्हारी जोट ओ रसिया होली में मेरे लग जाएगी,
मत मारे द्रगन की चोट....