श्री राधा वलभलाल शरण तेरी आयो,
शरण तेरी आयो शरण तेरी आयो,
कन्हिया सुनो हमारी बात,
द्वार खड़ी इक पगली विरहन,
दर्शन को ललचार,
कन्हिया सुनो हमारी बात,
माना मैं इस योग नहीं हूँ,
जो तेरी केहलाऊ,
माना मैं इस योग नहीं हूँ,
भेंट तुम्हें चड़ाऊ,
माना मैं इस योग नहीं हूँ,
निज भाव तुम्हें समझाऊ,
मधुर तान नहीं रूप मान नहीं,
कैसे तुम्हें रिझाऊ,
लोग कहे ये तेरी चाकर,
दर दर ठोकर खाऊ,
क्यों नहीं आते इन्ह नैनं में,
प्रेम की जोत जगाउ,
क्यों नहीं आते मन मधुबन में,
मीठी तान सुनाने,
क्यों नहीं आते हिर्दय कुंज में,
अनुपम रास रचाने,
क्यों नहीं आते निज संगीन में,
विरहा वहता सुनपाने,
क्या जीवन क्यों ही बीतेगा,
रिन दैन बिना सीत्कावे,
श्री राधा वलभलाल शरण तेरी आयो
शरण तेरी आयो शरण तेरी आयो