घबराये दुखों से जब तू, तेरा मन हो डाँवा-डोल
प्यारे हरि हरि बोल, प्यारे हरि हरिबोल ।
क्यों नजर बचा के सब से, दुष्कर्मो से खेल रहा है
कोई देखो या ना देखो तुझको, तू खुद देख रहा है
मन के तराजू में अपने तू सत्य झूठ को तोल ||1||
करता है तू पाप हजारों, पाप पुण्य पहचान
अंत समय पछतायेगा, जब तन में रहेंगे न प्राण
है अंधकार तेरे मन में-त मन की आँखे खोल ।।2।।
ध्यान लगा तू ईश्वर से, तेरा हो जाये उद्धार
हरि नाम की माला जप ले, हो जायेगा पार
नहीं हरि नाम का लगता, यहाँ प्यारे कोई मोल ।।3।।