हर ख़ुशी मिल रही हे श्याम तेरे दरबार से,
आई हूँ शरण तिहारी जबसे खाली ना आई मैं हर बार रे...
जिनकी कृपा से ज़िन्दगी कटती है शान से,
उनको रिझा रही हूँ मैं सरगम की तान से...
महिमा मैं जब से गए रही वाणी के रूप मैं,
करुणा की छाँव मिल रही संकट की धूप में,
कश्ती भवर से निकली है हर एक तूफ़ान से,
उनको रिझा रही हूँ मैं सरगम की तान से
जिनकी कृपा से ज़िन्दगी कटती है शान से....
है कौन जिसपे श्याम का जादू नहीं चला,
जादू से इसके कोई कैसे बचे भला,
मुस्कान इसकी भक्तों को मारे है जान से,
उनको रिझा रही हूँ मैं सरगम की तान से,
जिनकी कृपा से ज़िन्दगी कटती है शान से....
इनकी कृपा के प्रेमियों वाह वाह क्या बात है,
ऊँगली अगर बाधाओं तो पकडे ये हाथ है,
गाता सकल जगत एहि दिल से जुबां से,
उनको रिझा रही हूँ मैं सरगम की तान से,
जिनकी कृपा से ज़िन्दगी कटती है शान से....