भोग रखा रहा फूल मुरझा गए

आप आए नहीं और सुबह हो गई,
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई,
भोग रखा रहा फूल मुरझा गए,
आरती भी धरी की धरी रह गई.....

मुझसे रूठे हो क्यों आप आते नहीं,
कोई अपराध मेरा बताते नहीं,
देखते-देखते सांसे रुकने लगी,
क्या बुलाने में मेरे कमी रह गई,
आप आए नहीं

हाल बेहाल है आप आओ हरि,
मन की मोती की माला गले में पड़ी,
वरना मन के यह मोती बिखर जाएंगे,
कौन सी भावना की कमी रह गई,
आप आए नहीं....

ध्यान भी हो गया ज्ञान भी हो गया,
सारे जग से यह मन अब अलग हो गया,
इतना होते हुए ना तुम्हें पा सकी,
इच्छा दर्शन की मन में बनी रह गई,
आप आए नहीं....
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