इस शाने करम का क्या कहना,
दर पे जो सवाली आते हैं...
खाली ना रही रहमत से तेरी,
दुख दर्द के मारो की झोली,
क्या तेरा करम है दर पे तेरे,
भरती है हजारों की झोली,
एक तेरी करीमी का सदका,
वो मन की मुरादे पाते हैं,
इस शाने करम का क्या कहना,
दर पे जो सवाली आते हैं....
दिन रात है मंगतो का फेरा,
खाली न गया मंगता कोई,
मोहताज यहां जो आते हैं,
वह झोलियां भर के जाते हैं,
इस शाने करम का क्या कहना,
दर पे जो सवाली आते हैं.....
इस दर की सखावत क्या कहिए,
क्या खूब सजा है दर तेरा,
मिलती है करम की भीख उन्हें,
दामन जो यहां फैलाते हैं,
इस शाने करम का क्या कहना,
दर पे जो सवाली आते हैं....