चेत में पुरना के दर जो चला है
पुरना मैया अपने भगतों की करती भला है,
खली लोटा ना हाथ मलाह है
पुरना मैया अपनी भगतो की करती भला है,
तेरे बिन बिनती माँ कौन सुनेगा,
फूल मेरे काँटों को कौन करेगा,
जग से सारे मेरा मन ढोला,
तुही सुनेगी दिल मेरा भोला॥
जग से ना अब कोई शिकवा गिला है,
पुरना मैया..........
मैंने भी माँ जग से है रिश्ते तोड़े,
भर दे तू झोले चाहे खली तू मोड़े,
भगत ये तेरा आज जिद पर आरहा है
छोड़े ना दर तेरे चरणों पड़ा है
तेरी दया से माँ सब कुछ मिला है
पुरना मैया..........