गड्डी पुरे 150 पे चले

( खाटु के दरबार मे,
भर जाती झोली खाली,
लखदातार खाटूवाला,
करता सबकी रखवाली। )

खाटु जी दरबार गया मैं,
अजब नजारा देखा,
सोने चांदी के मंदिर में,
बाबा बैठा देखा,
जो भी आया दर पे उसकी,
करदी बल्ले बल्ले,
इसके भगतों की गड्डी,
पूरी 150 पे चले…….

अजब नजारे है करके देखो,
सबकी झोली भरता,
जिसको अपना कह दे बाबा,
उसके आगे आगे चलता,
तुम भी कर लो दर्शन,
कही पर रह जाओ ना कल्ले,
इसके भगतों की गड्डी,
पूरी 150 पे चले…….

नोटबंदी हुई थी भारी,
टेंशन में थे सारे,
खाटु जाने वाले प्रेमी,
मस्त मस्त थे सारे,
श्याम प्रभु ने करके कृपा,
फिर भर दिए सब गल्ले,
इसके भगतों की गड्डी,
पूरी 150 पे चले…….

मौज मनावे रोज मनावे,
जो भी खाटु जी को जावे,
भजनों में हो मस्त मस्त वो,
बाबे का हो जावे,
इसके रंग में रंग के देखो,
हम तो हो गए झल्ले,
इसके भगतों की गड्डी,
पूरी 150 पे चले…….

खाटु जी दरबार गया मैं,
अजब नजारा देखा,
सोने चांदी के मंदिर में,
बाबा बैठा देखा,
जो भी आया दर पे उसकी,
करदी बल्ले बल्ले,
इसके भगतों की गड्डी,
पूरी 150 पे चले…….
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