श्याम संग खेली रंग गुलाल,
सखी मैं हो गयी मालामाल ।।
जबहिं श्याम बहियन में जकण्यो,
लाल गुलाल गाल पे रगण्यो,
शरम से मैं तो हो गयी लाल,
सखी मैं हो गयी मालामाल ।।
नैनन ते मोपे जादू डारयो,
सुधबुध खोई सब कुछ हारयो,
मैं तो हो गयी आज निहाल,
सखी मैं हो गयी मालामाल ।।
मंद मधुर कान्हा मुसकायो,
रंग अबीर गुलाल उड़ायो,
बिरज के बदरा हो गये लाल,
सखी मैं हो गयी मालामाल ।।
ब्रिज में होली का हुड़दंग,
श्याम संग खेली सारे रंग,
धन्य हो मेरे नंद गोपाल,
सखी मैं हो गयी मालामाल,
श्याम संग खेली रंग गुलाल,
सखी मैं हो गयी मालामाल ।।
रचना आभार: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी