श्याम मोरी निंदिया हर ली

सखी ऋ दो मीठे बोल सुनाये,
श्याम मोरी निंदिया हर ली,
निन्दियाँ हर ली निन्दियाँ हर ली री,
सखी ऋ दो मीठे बोल सुनाये,

श्याम मल गात मुकट माथे पे कंधे लट घुंगराले,
यमुना तट  पे खूब हो पावे मोपे डोरा ढाले,
नैना वार चलाये श्याम मेरी सुध भुध हर ली जी,
सखी ऋ दो मीठे बोल सुनाये,

मधमाता नैना सु कर कर साइन हियो ललचावे,
बांध प्रेम की डोरी संग में मेरो मन ले जावे,
तड्फु जल बिन मीन दशा मेरी कैसे कर दी री,
सखी ऋ दो मीठे बोल सुनाये,

घडी इक पल चैन पड़े न ऐसी हुई दीवानी ,
नन्द कुंवर की इक झलक पे तन मन आज बिकानी,
अगन प्रेम की शत्य वीर नस नस में भरदी री,
सखी ऋ दो मीठे बोल सुनाये,
 
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