तू श्याम का सुमिंरन कर, सब दुख कट जायेगा,
यही श्याम नाम तुझको, भव पार लगायेगा....
मिथ्या जग में कबसे, तूं पगले रहा है बोल,
तूं इनकी शरंण आके, हाथों जोड़ के बोल,
ये दास तुम्हारा अब, कहीं ओर ना जायेगा,
यही श्याम नाम तुझको भव पार लगायेगा,
तू श्याम का सुमिंरन कर....
कैसा भी समय आये कैसी भी घड़ी आये,
सच्चे हृदय से जो, सुमिरन इनका गाये,
हर विपदा में उसका, वो साथ निभायेगा,
यही शाम नाम तुझको भव पार लगायेगा,
तू श्याम का सुमिंरन कर....
कब जानें ढल जाये, दो पल का है जीवन,
भगवान के चरनों में, करदे तूं इसे अर्पंण,
तेरे साथ में बस केवल, यही नाम ही जायेगा,
यही शाम नाम तुझको भव पार लगायेगा,
तू श्याम का सुमिंरन कर....