श्याम श्याम बोलते ही सामने ही आ गया ,
रोटी हुई आखियो को हसना सीखा गया,
श्याम श्याम बोलते ही सामने ही आ गया ,
अब तो मेरी जीवन डोरी सँवारे के हाथ है,
कदम कदम पे बाबा रहता मेरे साथ है,
बटका जो कभी मैं रास्ता दिखा गया,
रोटी हुई आखियो को हसना सीखा गया,
देदी मैंने जिम्मेदारी सारी अपनी सेठ को,
दाना पानी मौज से ही मिल रहा पेट को,
भूखा नहीं सोने दिया हाथो से खिला गया,
रोटी हुई आखियो को हसना सीखा गया,
सँवारे के रंग में रंगी है चुनरियाँ,
चोखानी सेवा में अब तो बीते रे उमरियाँ,
दीनो का सहारा बन आके समजा गया,
रोटी हुई आखियो को हसना सीखा गया,