ढूंढ़ती हु जिसे याहा से वाहा,
कोई कह दे है मेरा कान्हा कहा,
सुना सुना ये लगता सारा यहां
कोई कह दे है मेरा श्याम कहा,
पूछ के देख लिया मैंने फूल कलियों से,
यमुना की लहरें कदम की छइयां गोकुल की गलियों से,
करके इन्तजार रह गई तनहा कोई कह दे है मेरा कान्हा कहा,
आ भी जाओ के बिना तेरे दिल नहीं लगता,
तू न देखे तो ये शृंगार भी नहीं सजता,
मन भी मन मेरा अब मेरा ना रहा,
कोई कहदे है मेरा कान्हा कहा,
तंग करती है मुझको सखियाँ नाम लेके तेरा,
कहती है रोज ये चिला के कहा है श्याम तेरा,
अमृता रोशन कैसा है इम्तेहा ,
कोई कह दे है मेरा कान्हा कहा,