ए सखी... चला चलीं माई के दुवारिया,
जहां ममता के छलके गगरिया,
ए सखी चला चलीं माई के दुवरिया,
जहां अमृत के बरसे बदरिया,
ए सखी चला चलीं माई के दुवरिया......
गजबे सजल दरबार बा, अरे महिमा से जग उजियार बा,
अरे मिलत जहां शक्ति अपार बा, अरे जुटल जहां सारा संसार बा,
लेके हथवा में नरियर चुनरिया,
ए सखी चला चलीं माई के दुवारिया.....
दुखवा के दिन माई हरिहें, गोदिया ललनवा से भरीहें,
मनसा पुरइहें जग जननी, अंगना अंजोर माई करीहें,
जहां भर जाला सुखवा से झोरिया,
ए सखी चला चली माई के दुवरिया.....
माई महारानी बड़ी दानी, इनकार ना बाटे केहू सानी,
जग कहे साँचा दरबार बा, नेहिया के बहत रसधार बा,
नाही मूर्ति पे ठहरे नजरिया,
ए सखी चला चलीं माई के दुवरिया.....