बोलदे माँ बोलदे मेरे सामने तू भेद सारे खोल दे
क्यों दरबार न बुलाया मुझे
सारी दुनिया को भेजी तूने चिठिया क्यों समजा पराया माँ मुझे
तेरी ज्योत मैं जगाऊ दिन रात माँ
तेरे नाम से शुरू हो मेरी बात माँ
तो काहे को बुलाया माँ मुझे
सारी दुनिया को भेजी तूने चिठिया क्यों समजा पराया माँ मुझे
तेरी याद मुझे रोज ही रुला गई राहे तक तक आखे धुंदला गई
क्यों इतना रुलाया माँ मुझे
सारी दुनिया को भेजी तूने चिठिया क्यों समजा पराया माँ मुझे
लेते बच्चो की बलाए माये प्यार से
देती बच्चो को दुआए माये प्यार से
क्यों गले न लगाया माँ मुझे
सारी दुनिया को भेजी तूने चिठिया क्यों समजा पराया माँ मुझे