तेरी किरपा से ऐ माता रानी,
काम बिगड़े मेरे बन रहे है,
जब से तूने नजरियां है डाली खली भंडारे भर रहे है,
देख कर सामने दुःख तू अपने कहे गबराये इतना तू प्यारे,
उनके संकट मिटे माँ शरण में पूजा शरदा से जो कर रहे है,
तेरी किरपा से ऐ माता रानी,
खाली वो भी न लौटा यहाँ से फूटी किस्मत जो बेशक है लाया,
सब अबागो के माँ की दया से भाग दरबार में जग रहे है,
तेरी किरपा से ऐ माता रानी,
अटकी भव सागर में जो नईया,
काहे गबराये माँ जब है खिवैयाँ,
नाम लेके माँ शार्दुल और सूर्य लख चौरासी तर रहे है,
तेरी किरपा से ऐ माता रानी,